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केंद्र सरकार ने SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर क्या कहा?
नई दिल्ली, 9 अगस्त 2024: शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर की सिफारिश पर विस्तार से चर्चा की गई। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस मुद्दे पर सुझाव दिए थे, लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि SC और ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं होगा।
क्या है क्रीमी लेयर का मुद्दा?
क्रीमी लेयर का मतलब है, SC और ST समुदाय के वे लोग या परिवार जो उच्च आय वर्ग में आते हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने आर्थिक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है और जिनके पास अधिक संसाधन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया था कि SC और ST समुदायों के आरक्षण में भी क्रीमी लेयर का प्रावधान होना चाहिए, ताकि आरक्षण का लाभ सबसे अधिक जरूरतमंदों तक पहुंच सके।
सरकार का रुख: SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए कोई जगह नहीं
बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर चर्चा की और निर्णय लिया कि SC और ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं होगा। मंत्री ने कहा कि यह सरकार का स्पष्ट और सुविचारित दृष्टिकोण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने SC और ST समुदायों के लिए जो आरक्षण प्रावधान किए थे, उनमें क्रीमी लेयर का कोई जिक्र नहीं है। सरकार ने इस बात को फिर से दोहराया कि SC-ST आरक्षण का ढांचा संविधान के अनुरूप ही रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते, सुप्रीम कोर्ट ने SC और ST वर्ग के भीतर आरक्षण के लिए नई सब-कैटेगरी बनाने की सिफारिश की थी। इसका मकसद था कि अति पिछड़े तबके को भी आरक्षण का लाभ मिल सके। कोर्ट ने सुझाव दिया था कि इन वर्गों के भीतर सबसे ज्यादा जरूरतमंदों के लिए अलग से आरक्षण दिया जा सकता है। इस सिफारिश को चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई में सात जजों की संविधान पीठ ने दिया था।
सरकार की प्रतिबद्धता
केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह संविधान के प्रावधानों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और SC-ST आरक्षण में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि आरक्षण का ढांचा संविधान निर्माता डॉ. आंबेडकर के मूल सिद्धांतों के आधार पर ही चलेगा।
सरकार के इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि वह SC और ST समुदायों के आरक्षण के मौजूदा ढांचे को बरकरार रखना चाहती है और सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश के बावजूद क्रीमी लेयर का प्रावधान लागू नहीं करेगी।