जन्माष्टमी 2024: भगवान कृष्ण के 108 नाम और उनका महत्व इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन घरों को सुंदर सजावट, भजन, और कीर्तन से सजाया जाता है और विभिन्न धार्मिक गतिविधियाँ की जाती हैं, जैसे कि मंत्र-उच्चारण, पूजा, उपवास, और सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना।
भगवान श्री कृष्ण के 108 नामों का उच्चारण विशेष महत्व रखता है, जिन्हें अस्टाक्षर मंत्र या विष्णु सहस्त्रनाम का हिस्सा माना जाता है। इन नामों के जाप से आध्यात्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है और आंतरिक शांति एवं संतुलन आता है। यहाँ भगवान कृष्ण के 108 नाम और उनके अर्थ दिए गए हैं:
1) अचल – वह देवता जो अपरिवर्तनीय है।
2) अच्युत- गलती करने वाले भगवान।
3) अद्भुत – महान भगवान।
4) आदिदेव – देवताओं के देवता।
5) आदित्य – देवी अदिति के पुत्र।
6) अजनमा – असीम और शाश्वत।
7) अजय – जीवन और मृत्यु पर विजय।
8) अक्षर – अमर भगवान।
9) अमृत- अमृत।
10) आनंदसागर – दयालु भगवान।
11) अनंत – अनन्त भगवान।
12) अनंतजित – विजयश्री भगवान।
13) अनया – सर्वोच्च निर्गत एक।
14) अनिरुद्ध – अडिग भगवान।
15) अपराजीत – अजेय भगवान।
16) अव्युक्त – स्पष्ट भगवान।
17) बालगोपाल – छोटे कृष्ण।
18) चतुर्भुज – चार भुजाओं वाला भगवान।
19) दानवेंद्र – आशीर्वाद देने वाला।
20) दयालु – दया का स्रोत।
21) दयानिधि – दया का स्वामी।
22) देवादिदेव – सर्वोच्च देवता।
23) देवकीनंदन – देवकी के पुत्र।
24) देवेश – सर्वोच्च शासक।
25) धर्माध्यक्ष – धर्म के रक्षक।
26) द्रविन – बिना प्रतिकूलताओं वाला।
27) द्वारकापति – द्वारका के भगवान।
28) गोपाल – गोपों का दिव्य सखा।
29) गोपालप्रिय – गोपों का प्रिय।
30) गोविन्द – गायों, भूमि और सृष्टि की खुशी।
31) गणेश्वर – सर्वज्ञ भगवान।
32) हरी – प्रकृति का भगवान।
33) हिरण्यगर्भ – सर्वशक्तिशाली सृष्टिकर्ता।
34) ऋषिकेश – सभी इन्द्रियों का स्वामी।
35) जगद्गुरु – विश्व के गुरु।
36) जगदीश – ब्रह्मांड का रक्षक।
37) जगन्नाथ – ब्रह्मांड के भगवान।
38) जनार्दन – सभी को वरदान देने वाला।
39) जयन्त – सभी प्रतिकूलताओं पर विजय।
40) ज्वोतिरादित्य – सूर्य की आभा।
41) कमलनाथ – देवी लक्ष्मी के पति।
42) कमलनयन – कमल जैसी आंखों वाला भगवान।
43) कंसांतक – कंस का वधक।
44) कंजलोचन – कमल जैसी आंखों वाला भगवान।
45) केशव – बहते हुए काले बालों वाला।
46) कृष्ण – काले रंग वाला भगवान।
47) लक्ष्मीकांत – देवी लक्ष्मी का पति।
48) लोकाध्यक्ष – तीनों लोकों का शासक।
49) मदन – प्रेम का दिव्य स्वामी।
50) माधव – गहन ज्ञान का भगवान।
51) मधुसूदन – मधु दानव का वधक।
52) महेंद्र – इन्द्र का परम भगवान।
53) मनमोहन – सभी सुखों का भगवान।
54) मनोहर – सौंदर्य का भगवान।
55) मयूर – मोर पंख वाला भगवान।
56) मोहान – आकर्षक देवता।
57) मुरली – बांसुरी बजाने वाला।
58) मुरलीधर – बांसुरी पकड़े हुए भगवान।
59) मुरलीमनोहर – बांसुरी बजाने वाला सर्वोच्च।
60) नंदकुमार – नंद का पुत्र।
61) नंदगोपाल – नंद का पुत्र।
62) नारायण – सभी का आश्रय।
63) नवनीतचोर – मक्खन चोर।
64) निर्गुण – गुणहीन।
65) निर्जन – अमल भगवान।
66) पद्महस्त – कमल जैसी हाथों वाला।
67) पद्मनाभ- कमल के आकार वाला नाभि।
68) परब्रह्म – परम सच्चाई।
69) परमात्मा – सभी प्राणियों का शासक।
70) परंपुरुष – सर्वोच्च प्राणी।
71) पार्थसारथी – अर्जुन का सारथी।
72) प्रजापति – सभी के सृजनकर्ता।
73) पुण्य – पवित्रता।
74) पुरुषोत्तम – सर्वोत्तम आत्मा।
75) रविलोचन – सूर्य की आंख वाला।
76) सहस्राकश – हजारों आंखों वाला।
77) सहस्राजित – हजारों को हराने वाला।
78) साक्षी – सर्वव्यापी भगवान।
79) सनातन – शाश्वत भगवान।
80) सर्वज्ञ – सर्वशक्तिमान भगवान।
81) सर्वपालक – विश्व का रक्षक।
82) सर्वेश्वर – सभी देवताओं का भगवान।
83) सत्यवचन – सत्यवादी भगवान।
84) सत्यव्रत – सत्य में समर्पित भगवान।
85) शांत – शांत भगवान।
86) श्रेष्ठ – सर्वोच्च और सुंदर।
87) श्रीकांत – सुंदर भगवान।
88) श्याम – काले रंग वाला भगवान।
89) श्यामसुंदर – चमकदार संध्या का भगवान।
90) सुदर्शन – आकर्षक भगवान।
91) सुमेधा – बुद्धिमान भगवान।
92) सुरेशाम – सभी देवताओं का शासक।
93) स्वर्गपति – स्वर्ग का स्वामी।
94) त्रिविक्रम – तीन लोकों का विजयश्री।
95) उपेंद्र – इन्द्र का भाई।
96) वैकुण्ठनाथ – स्वर्ग का निवास स्थान।
97) वर्धमान – निराकार भगवान।
98) वसुदेव – सर्वव्यापी भगवान।
99) विष्णु – सब कुछ शामिल करने वाला भगवान।
100) विश्वदक्षिण – कुशल और प्रभावी भगवान।
101) विश्वकर्मा – सृष्टि के आर्किटेक्ट।
102) विश्वमूर्ति – ब्रह्मांड का रूप।
103) विश्वारूप – सार्वभौम रूप का प्रकटक।
104) विश्वात्मा – ब्रह्मांड की आत्मा।
105) वृषपर्वा – धर्म के पालनकर्ता।
106) यादवेंद्र – यादवों का शासक।
107) योगी – परम गुरु।
108) योगिनामपति – योगियों का देवता।
इन नामों का जाप भगवान कृष्ण की महिमा को समझने और उनके प्रति भक्ति प्रकट करने का एक अद्वितीय तरीका है।