बिहार में 500 साल पुराना शिव मंदिर प्रकट, लोगों में उत्साह
बिहार के कोरी टोला इलाके में 500 साल पुराना शिव मंदिर मिलने की खबर ने लोगों के बीच उत्साह और भक्ति का माहौल पैदा कर दिया है। जमीन धंसने के बाद प्रकट हुए इस मंदिर को लेकर इलाके में चर्चा का दौर जारी है। हालांकि, अभी तक पुरातत्व विभाग ने इस पर अपनी जांच शुरू नहीं की है।
कैसे हुआ मंदिर का खुलासा?
स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ दिन पहले अचानक जमीन धंस गई। जब लोग खुदाई करने लगे तो एक प्राचीन मंदिर का गुंबद नजर आया। खुदाई जारी रखने पर पूरा मंदिर बाहर आ गया। इतने सालों तक मिट्टी में दबा रहने के बावजूद मंदिर की संरचना में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है।
मंदिर की विशेषताएं
यह शिव मंदिर अपनी भव्य और अनोखी बनावट के लिए खास है:
- काले ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित: यह गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर जैसा नजर आता है।
- छह झरोखे और छह खंभे: मंदिर का गुंबद इन खंभों पर टिका है।
- शिवलिंग और चरण चिह्न: मंदिर के भीतर एक शिवलिंग और चरणों के निशान पाए गए हैं।
- गुंबद की अनोखी आकृतियां: वेदी पर आठ छोटे गुंबद जैसे डिज़ाइन मौजूद हैं।
स्थानीय मान्यता और इतिहास
बुजुर्गों का कहना है कि इस स्थान पर पहले एक मठ हुआ करता था। धीरे-धीरे मठ की जमीन पर कब्जा होता गया, और मंदिर मिट्टी में दब गया। दशकों तक यह स्थान कूड़ा-कचरे का ढेर बना रहा, लेकिन अब इसके मिलने से लोगों में नई उम्मीदें जाग गई हैं।
लोगों में उमंग और भक्ति का माहौल
मंदिर के प्रकट होने के बाद से इलाके में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। लोग यहां पूजा-पाठ कर रहे हैं और इसे ईश्वर का चमत्कार मान रहे हैं।
प्रशासन की सक्रियता
प्रशासन ने मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। एक अधिकारी ने बताया, “यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फोर्स तैनात की गई है।”
पुरातत्व विभाग का कदम अभी बाकी
हालांकि, मंदिर की ऐतिहासिकता और प्राचीनता की जांच के लिए पुरातत्व विभाग ने अभी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मंदिर के अध्ययन से महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी सामने आ सकती है।
लोगों को उम्मीद है कि यह स्थान अब धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का केंद्र बनेगा और इलाके की स्थिति में सुधार लाएगा। फिलहाल, इस प्राचीन मंदिर का दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।