बिहार में जमीन सर्वे और दाखिल खारिज में नया बदलाव
आज से पूरे बिहार में जमीन सर्वे की शुरुआत हो चुकी है। नीतीश सरकार ने जमीन विवादों से निपटने के लिए पुराने नियमों में कुछ महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इसके साथ ही, दाखिल खारिज की प्रक्रिया के लिए नए मॉडल को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया है। 14 अगस्त को राज्य के भूमि सुधार विभाग ने इसका आदेश जारी किया। नए दाखिल खारिज मॉडल में क्या बदलाव हुए हैं और इसका बिहार की जनता पर क्या असर पड़ेगा, आइए जानें।
नए मॉडल की शुरुआत से, संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में भूमि की बिक्री कर लेने के मामलों में विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। पुराने मॉडल में आवेदन में गलतियों के चलते पुनः आवेदन की सुविधा नहीं थी, जिससे प्रक्रिया में देरी होती थी। अब, नए मॉडल के तहत यदि कोई गलती होती है, तो संबंधित सीओ 24 घंटे के भीतर आदेश देगा। अगर सीओ ऐसा नहीं करता, तो आवेदन खुद ही आवेदक के लॉगिन में चला जाएगा ताकि वह सुधार कर सके। राजस्व कर्मचारी अब आवेदन को खारिज नहीं कर सकेंगे, केवल स्वीकार करने का विकल्प होगा। इसके बाद, बाकी दस्तावेजों की जांच के लिए 3 दिन का समय मिलेगा।
पहले के सॉफ्टवेयर में, कई गलतियों के कारण आवेदन निरस्त हो जाता था और दोबारा आवेदन की सुविधा नहीं थी। नए मॉडल में त्रुटियों को ठीक करने के बाद दोबारा आवेदन करने की सुविधा प्रदान की गई है। आवेदन के बाद सिर्फ आवेदन संख्या मिलती थी, जबकि नए मॉडल में एक ऑनलाइन टोकन नंबर भी मिलेगा जिससे आवेदक को अपनी बारी की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
संयुक्त जमाबंदी की स्थिति में, अब सभी जमाबंदी धारकों की सहमति अनिवार्य होगी। पहले, एक भी जमाबंदी धारी बिना सहमति के भूमि की बिक्री कर सकता था। साथ ही, आवेदन के साथ एक ही साक्षी अपलोड करने का विकल्प था, जिसे अब बढ़ाकर एक से अधिक साक्ष्य अपलोड करने की आवश्यकता हो गई है। सीओ को आवेदक का पक्ष सुनने और उसे रिकॉर्ड पर लाने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
इन नए बदलावों से जमीन के दाखिल खारिज की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सरल बनाया गया है। बिहार की छोटी-बड़ी खबरों के लिए हमारे साथ बने रहें।