बिहार में प्रगति यात्रा या संघर्ष की तस्वीरें?
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा के बीच एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां एक तरफ मुख्यमंत्री विकास योजनाओं की प्रगति का जायजा ले रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजधानी पटना में बेरोजगार युवाओं पर पुलिस की लाठियां बरस रही हैं।
हाजीपुर: जमीनी हकीकत बदलने का खेल
मुख्यमंत्री के दौरे से पहले अधिकारियों ने अधूरी परियोजनाओं को “पूरा” दिखाने की कोशिश की। मुजफ्फरपुर में अधूरे पुल को रंगने की बात हो या हाजीपुर में जमीन बदलने की कवायद—यह सब प्रशासनिक सच्चाई पर पर्दा डालने का प्रयास था।
पटना: बेरोजगारों पर लाठीचार्ज की ‘प्रगति’
राजधानी में पुलिस की लाठियां बेरोजगारों पर टूट रही हैं। बीपीएससी परीक्षा में धांधली के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर पुलिस ने बर्बरता दिखाई। छात्र आठ दिनों से शांतिपूर्ण धरने पर थे, लेकिन उनकी आवाज दबाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया।
छात्रों का आरोप:
- बीपीएससी परीक्षा में पेपर लीक और धांधली हुई थी।
- पटना के बापू भवन परीक्षा केंद्र की परीक्षा को रद्द किया गया, लेकिन पूरी परीक्षा को रद्द नहीं किया गया।
- न्याय की मांग करने पर पुलिस ने छात्रों को दौड़ाकर पीटा।
एक छात्रा ने कहा, “हम अपनी बात रखने के लिए बीपीएससी ऑफिस गए थे। वहां पुलिस ने अचानक गालियां देते हुए मारना शुरू कर दिया। हम सिर्फ री-एग्जाम की मांग कर रहे थे।”
नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा पर सवाल
मुख्यमंत्री 2025 के चुनावों के लिए “फिर नीतीश” का नारा दे रहे हैं, लेकिन राजधानी पटना में यह नारा बेरोजगारों के आंसुओं और लाठियों की गूंज में खोता दिख रहा है।
छात्रों की मांगें जायज हैं, और प्रशासन को जवाबदेही सुनिश्चित करनी चाहिए। क्या “प्रगति यात्रा” सिर्फ योजनाओं के प्रचार तक सीमित है, या यह जनता की हकीकत भी सुनेगी?
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