बिहारी: गर्व और कुर्बानियों की दास्तां
बिहारी शब्द केवल एक क्षेत्रीय पहचान नहीं, बल्कि कुर्बानी, संघर्ष, और आत्मसम्मान की गाथा है। हाल ही में सिंध प्रांत की असेंबली में सैयद एजाज उल हक ने एक भावुक तकरीर में बिहारी समुदाय के महत्व और उनके ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा, “बिहारी गाली नहीं है। यह वह समुदाय है जिसने पाकिस्तान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जब नारा गूंजा था ‘बट के रहेगा हिंदुस्तान, बन के रहेगा पाकिस्तान,’ तब बिहारी लोग इस आंदोलन की रीढ़ थे। पाकिस्तान का वजूद उनकी कुर्बानियों का नतीजा है।”
पाकिस्तान बनने में बिहारी समुदाय का योगदान
1947 में भारत के विभाजन के दौरान, यूपी और बिहार के मुसलमानों ने पाकिस्तान के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में समर्थन दिया। विभाजन के बाद, जब ये लोग पाकिस्तान पहुँचे, तो इन्हें “बिहारी” कहा गया। उनके पास जो संपत्तियाँ थीं, वे सब छोड़कर आए, और यहाँ प्रवासी कहलाए।
सैयद एजाज उल हक ने विधानसभा में कहा कि इन बिहारियों ने न केवल पाकिस्तान के लिए कुर्बानी दी, बल्कि 1971 में बांग्लादेश के युद्ध के दौरान भी अपनी निष्ठा को साबित किया। “आज भी बांग्लादेश के कैंपों में बसे बिहारी ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाते हैं,” उन्होंने कहा।
बिहारी शब्द पर अपमानजनक टिप्पणी और विरोध
आज के दौर में पाकिस्तान में “बिहारी” शब्द को मजाक और अपमान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस पर सैयद एजाज उल हक ने कहा, “आप बिहारी को गाली समझते हैं? यह वही बिहारी हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के लिए जान दी। उनके अजदाद ने जो जमीने, मकान और संपत्तियाँ छोड़ीं, उसका क्या हुआ? आज आप उन्हें गैरकानूनी नागरिक मानते हैं। यह शर्म की बात है।”
बिहारी मुसलमानों की वर्तमान स्थिति
कराची और सिंध के अन्य इलाकों में बिहारी मुसलमानों की संख्या काफी है। लेकिन उन्हें समाज में वह सम्मान नहीं मिला, जिसके वे हकदार हैं। पाकिस्तान में उन्हें आज भी प्रवासी या बाहरी मानकर हाशिए पर रखा गया है।
इतिहास के गर्वित पन्ने
बिहारी समुदाय केवल क्षेत्रीय पहचान नहीं, बल्कि बलिदान और समर्पण की मिसाल है। पाकिस्तान के निर्माण और उसके अस्तित्व को बनाए रखने में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। सैयद एजाज उल हक जैसे नेता उनकी आवाज बनकर असेंबली में यह संदेश दे रहे हैं कि बिहारी होना गर्व की बात है, न कि किसी के मजाक का कारण।
संदेश
बिहारी समुदाय को अपने इतिहास और योगदान पर गर्व होना चाहिए। किसी भी देश या समाज को अपने निर्माताओं और उनके बलिदानों का सम्मान करना चाहिए। बिहारी न केवल इतिहास के गवाह हैं, बल्कि संघर्ष और सम्मान की जिंदा मिसाल भी।
Video
https://youtu.be/sPeiwi8Qfy0?si=kuoD_7pAp6p8MrxP
