Patna Nagar Nigam में ‘Loot Raj’? Daagi Company को Tender देने पर Bawal, Mayor और उनके बेटे पर लगे गंभीर आरोप
Headline: Patna Nagar Nigam Board Meeting में भारी हंगामा, Blacklisted Company को Contract देने की कोशिश? Mayor और उनके बेटे की भूमिका पर उठे सवाल
Introduction:
बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर अपने नगर निगम (Municipal Corporation) को लेकर सुर्खियों में है, लेकिन वजह विकास या स्वच्छता नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं। बुधवार को हुई Patna Nagar Nigam (PMC) की board meeting में जो दृश्य देखने को मिला, वह किसी राजनीतिक फिल्म के क्लाइमेक्स से कम नहीं था। बैठक में मेयर Sita Sahu पर यह आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा हुआ कि उन्होंने सभी प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर एक दागी और blacklisted company को करोड़ों का contract देने का प्रस्ताव पेश कर दिया।
इस घटना ने न केवल पटना के शहरी शासन पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसने मेयर के अपने ही समर्थकों को उनके खिलाफ लाकर खड़ा कर दिया है। और इस पूरे विवाद के केंद्र में एक बार फिर मेयर के बेटे, Shishir Kumar, का नाम सामने आया है, जिन पर पहले से ही निगम के कामों में अवैध दखलंदाजी और अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार के कई मामले दर्ज हैं। आइए, इस पूरे मामले की परतों को खोलते हैं और समझते हैं कि आखिर Patna Nagar Nigam की इस बैठक में ऐसा क्या हुआ जिसने ‘लूट राज’ के आरोपों को हवा दे दी।
Board Meeting में क्या हुआ? Proposal, Hungama और रद्द हुई बैठक
बुधवार को हुई पटना नगर निगम बोर्ड की बैठक का एजेंडा जनहित के मुद्दों पर चर्चा करना था, लेकिन यह जल्द ही अखाड़े में तब्दील हो गया। विवाद तब शुरू हुआ जब मेयर सीता साहू ने एजेंडे में शामिल न होते हुए भी तीन नए प्रस्ताव, ख़ास तौर पर proposal संख्या 123, 124 और 125, को पेश किया। इन प्रस्तावों के सामने आते ही पार्षदों का एक बड़ा गुट भड़क गया।
उनका आरोप था कि ये प्रस्ताव बिना किसी पूर्व सूचना या चर्चा के लाए गए थे और इनका मकसद केवल एक विशेष, दागी company को फायदा पहुंचाना था। इस पर तीखी बहस शुरू हो गई जो लगभग 4 घंटे तक चली। पार्षदों ने मेयर पर मनमानी करने और लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया। हंगामा इतना बढ़ गया कि कोई भी काम-काज नहीं हो सका। अंत में, किसी भी एजेंडे पर सहमति न बन पाने के कारण मेयर सीता साहू को बैठक को रद्द घोषित करना पड़ा। PMC के इतिहास में यह एक अभूतपूर्व घटना थी, जब कोई बोर्ड बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। मेयर ने अगली बैठक के लिए 1 जुलाई की तारीख तय की है।
नियमों की धज्जियां: कैसे Bypass की गई Process?
इस पूरे विवाद की जड़ वह तरीका है जिससे मेयर ने इन प्रस्तावों को पेश किया। नगर निगम के नियमों के अनुसार, किसी भी प्रस्ताव को बोर्ड में रखने से पहले उसे ‘सशक्त स्थायी समिति’ (Empowered Standing Committee) से मंजूरी दिलवाना अनिवार्य है। यह समिति प्रस्ताव के हर पहलू की जांच करती है और उसकी उपयोगिता पर विचार करती है।
लेकिन मेयर सीता साहू पर आरोप है कि उन्होंने इस पूरी process को bypass कर दिया। उन्होंने इन विवादास्पद प्रस्तावों को सीधे बोर्ड के पटल पर रख दिया, जो कि नियमों का खुला उल्लंघन है। इस कदम से यह संदेश गया कि इन प्रस्तावों को जांच और बहस से बचाने की कोशिश की जा रही थी, ताकि उन्हें जल्दबाजी में पास करवाया जा सके। मेयर के इस कदम ने उनके कट्टर समर्थकों को भी नाराज कर दिया। वार्ड पार्षद डॉ. इंद्रदीप चंद्रवंशी और डॉ. आशीष सिन्हा, जो पहले मेयर के खेमे में माने जाते थे, ने भी इस पर खुलकर अपना विरोध जताया।
Daagi Company ‘Amazing India’ का पूरा कच्चा-चिट्ठा
अब सवाल उठता है कि वह कौन सी कंपनी है जिसके लिए इतना बड़ा विवाद खड़ा हुआ? इस कंपनी का नाम है ‘Amazing India Contractors Pvt. Ltd.‘। इस कंपनी का इतिहास विवादों से भरा रहा है:
- Smart Parking का Tender: यह कंपनी पहले पटना में ‘Smart Parking‘ का ठेका चलाती थी।
- अवैध वसूली: ठेका समाप्त होने के बाद भी कंपनी पर अवैध रूप से पार्किंग शुल्क वसूलने के गंभीर आरोप लगे।
- अपहरण और हत्या के प्रयास की FIR: मामला तब बेहद संगीन हो गया जब नगर आयुक्त ने एक राजस्व अधिकारी को इस अवैध वसूली को रोकने भेजा। आरोप है कि Amazing India के लोगों ने उस अधिकारी का अपहरण कर उसकी हत्या का प्रयास किया। इस मामले में कंपनी के खिलाफ एक गंभीर FIR दर्ज है।
- Termination और Blacklisting: इन्हीं आरोपों के कारण नगर निगम ने कंपनी का contract terminate कर उसे blacklist कर दिया था।
हैरानी की बात यह है कि मेयर सीता साहू इसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाली और दागी कंपनी को फिर से पार्किंग का ठेका दिलाने के लिए प्रस्ताव लेकर आई थीं।
Court में भी खेल? निगम के ही वकील को हटाने का प्रस्ताव
इस साजिश की परतें और भी गहरी हैं। Termination के बाद, Amazing India कंपनी इस मामले को लेकर court में गई है। नगर निगम की तरफ से इस केस को वकील प्रसून सिन्हा देख रहे हैं, जो कंपनी के खिलाफ मजबूती से निगम का पक्ष रख रहे हैं।
बोर्ड मीटिंग में मेयर द्वारा लाए गए प्रस्तावों में से एक यह भी था कि वकील प्रसून सिन्हा को इस केस से हटा दिया जाए और वकीलों का एक नया panel बनाया जाए। इसे सीधे तौर पर निगम के केस को कमजोर करने और दागी कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। यह एक स्पष्ट ‘conflict of interest‘ का मामला है, जहां मेयर पर निगम के हितों की रक्षा करने के बजाय एक निजी कंपनी को बचाने का आरोप लग रहा है।
Mayor Putra Shishir Kumar: परदे के पीछे का खिलाड़ी?
पटना नगर निगम के विवादों में मेयर के बेटे Shishir Kumar का नाम नया नहीं है। उन पर पहले भी निगम के कामों में दखलंदाजी, commissionkhori, ठेके बांटने और officials के साथ गाली-गलौज करने के आरोप लगते रहे हैं। खुद नगर आयुक्त इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज चुके हैं।
इस बैठक के दौरान भी शिशिर कुमार की मौजूदगी ने विवाद को और हवा दी। वह बैठक कक्ष के ठीक बाहर डटे रहे और उन्होंने media के उन पत्रकारों को भी कवरेज से रोका, जिन्हें आधिकारिक तौर पर बुलाया गया था। उनकी यह हरकत दिखाती है कि बिना किसी आधिकारिक पद के भी वह निगम की कार्यप्रणाली में कितना दखल रखते हैं।
निष्कर्ष: आगे क्या?
पटना नगर निगम की यह घटना सिर्फ एक बैठक के हंगामे तक सीमित नहीं है। यह उस गहरी बीमारी की ओर इशारा करती है, जहां जनहित पर व्यक्तिगत और वित्तीय हित भारी पड़ते दिख रहे हैं। जब चुने हुए प्रतिनिधि ही नियमों को ताक पर रखकर दागी कंपनियों को फायदा पहुंचाने लगें, तो यह लोकतंत्र और सुशासन (good governance) के लिए एक बड़ा खतरा है।
फिलहाल, बैठक रद्द होने से ये विवादित प्रस्ताव पारित नहीं हो सके हैं। लेकिन अब सभी की नजरें 1 जुलाई को होने वाली अगली बैठक पर हैं। क्या मेयर फिर से इन प्रस्तावों को लाने का प्रयास करेंगी? क्या पार्षद जनहित के लिए एकजुट रहेंगे? और सबसे बड़ा सवाल, क्या राज्य सरकार (State Government) इस ‘लूट राज’ के आरोपों पर कोई संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी? पटना की जनता जवाब का इंतजार कर रही है।