जम्मू-कश्मीर के शांत और सुंदर इलाके पहलगाम में सोमवार को आतंक का भयानक चेहरा सामने आया, जब आतंकवादियों ने अचानक आम नागरिकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। इस भीषण आतंकी हमले में अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है। मृतकों में एक इजराइली यहूदी नागरिक और एक इटली का नागरिक भी शामिल हैं।
हमले के बाद का दृश्य बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाला था। एक महिला, जो अपने पति के साथ भेलपुरी खा रही थी, रोते-बिलखते हुए बार-बार यही कहती रही – “मेरे पति को बचा लो। मेरे पति को बचा लो।” उसकी आंखों के सामने ही उसके पति को आतंकियों ने गोली मार दी। महिला ने बताया कि आतंकियों ने गोली मारने से पहले कहा, “ये लोग मुस्लिम नहीं हैं, गोली मार दो।”
यह घटना न केवल एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा है, बल्कि इंसानियत पर किया गया एक घातक वार है। दुखद यह है कि बीमारियों, दुर्घटनाओं और प्राकृतिक आपदाओं से लड़ते इंसान को अब यह भी सोचना पड़ेगा कि कोई आतंकी उसके जीवन का फैसला कर सकता है या नहीं।
“बीमारी, दुर्घटना और प्राकृतिक आपदाएं ही इंसान की मौत का कारण होनी चाहिए। किसी आतंकवादी की गोली या बम यह तय नहीं कर सकते कि मुझे कब मरना है।” – यह शब्द पीड़ित महिला के दर्द और क्रोध को दर्शाते हैं।
सरकार ने हमले की निंदा करते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है।