उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए सदन में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा, “संक्रमित व्यक्ति का इलाज हो सकता है, लेकिन संक्रमित सोच का कोई उपचार नहीं होता। वह अपनी कुंठा में ही जलता रहता है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि महान कार्यों को तीन प्रमुख अव्यवस्थाओं से गुजरना पड़ता है—उपहास, विरोध और अंततः स्वीकृति। उन्होंने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तंज कसते हुए कहा, “जो लोग पहले कुंभ का विरोध कर रहे थे, वे भी चुपके से महाकुंभ में स्नान कर आए। यह स्वीकृति का सबसे बड़ा प्रमाण है।”
इसके साथ ही उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “महाकुंभ को ‘मृत्यु कुंभ’ कहने वाले लोग सनातन धर्म और भारतीय परंपराओं का अपमान कर रहे हैं। सनातन धर्म की सुरक्षा ही विश्व मानवता की सुरक्षा की गारंटी है।”
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ में किसी भी जाति, धर्म या मजहब के लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया गया। उन्होंने कहा, “हर जाति और मजहब के लोग महाकुंभ में श्रद्धा के साथ आए और आस्था की पवित्र डुबकी लगाई। लेकिन अगर कोई चिढ़ाने के उद्देश्य से आया तो उसे दुत्कार कर भगा दिया गया, और ऐसा होना भी चाहिए था।”
मुख्यमंत्री ने सदन में स्पष्ट किया कि महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, और इसे बदनाम करने वालों को जनता ने कभी स्वीकार नहीं किया। उनका कहना था कि महाकुंभ में सभी का स्वागत था, लेकिन आस्था का अपमान करने वालों के लिए कोई जगह नहीं थी।
सनातन धर्म और महाकुंभ का महत्व
सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजनों में समाज के हर वर्ग का योगदान होता है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती दी है, बल्कि यह पूरी दुनिया को भारतीय आध्यात्मिकता और भाईचारे का संदेश देता है।
सीएम योगी के इस बयान से विधानसभा में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई, लेकिन उन्होंने अपने विचारों को दृढ़ता के साथ प्रस्तुत किया। उनके अनुसार, महाकुंभ के आयोजन में मिली सफलता उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी मेहनत और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
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