Dollar के मुकाबले रुपया कमजोर: 1Dollar = 86.55 रुपये, क्या वाकई अच्छे दिन आए?
नई दिल्ली:
भारतीय अर्थव्यवस्था में डॉलर और रुपये की कीमत हमेशा से चर्चा का विषय रही है। एक बार फिर रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता दिख रहा है। आज 1 Dollar 86.55 रुपये के बराबर है। यह आंकड़ा केवल एक आर्थिक संकेत नहीं, बल्कि कई सवाल खड़े करता है।
क्या यह वही भारत है, जहां 2014 से पहले डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट पर चिंता व्यक्त की जाती थी? क्या अब हमारी प्राथमिकताएं बदल गई हैं, या फिर आलोचना की आवाजें दबा दी गई हैं?
2014 से पहले का भारत: जब डॉलर-रुपया राष्ट्रीय बहस थी
2014 से पहले, जब 1 डॉलर लगभग ₹60 के आसपास था, सोशल मीडिया से लेकर टीवी चैनलों तक, हर जगह इसकी चर्चा होती थी। बड़े-बड़े कलाकार, निर्देशक और सेलिब्रिटी रुपया गिरने पर चिंता जताते थे।
- विवेक अग्निहोत्री ने 24 जून 2012 को ट्वीट किया था:
“आपकी खुशी पेट्रोल की कीमतों की तरह बढ़े और आपकी मुसीबतें भारतीय रुपये की तरह गिरें।”
तब 1 डॉलर ₹57.20 था। - जूही चावला ने 21 अगस्त 2013 को ट्वीट किया:
“रुपये को बचाने का एक ही तरीका है, डॉलर को राखी बांध दें।”
उस वक्त 1 डॉलर ₹63.44 के बराबर था। - अनुपम खेर ने 28 अगस्त 2013 को ट्वीट किया:
“हम उस देश के वासी हैं, जहां गंगा रोती है।”
उस समय डॉलर ₹67.95 था। - अमिताभ बच्चन ने 1 सितंबर 2013 को लिखा:
“रुपीज़ अब एक नया शब्द है, जिसका मतलब है गिरते जाना।”
तब 1 डॉलर ₹66.13 के बराबर था।
आज का भारत: 86.55 रुपये और चुप्पी
2025 में जब 1 डॉलर ₹86.55 तक पहुंच गया है, तो वही आवाजें अब खामोश क्यों हैं?
- क्या अब रुपया गिरना चिंता का विषय नहीं?
2014 से पहले रुपये की हर गिरावट पर सवाल उठते थे। लेकिन अब क्यों नहीं? - क्या आलोचना बंद हो गई है?
क्या अब सवाल उठाना “राष्ट्रविरोध” माना जाने लगा है? - सेलिब्रिटीज की बदलती प्राथमिकताएं:
जो लोग पहले रुपये की कीमत पर ट्वीट्स करते थे, अब वे पूरी तरह खामोश हैं।- विवेक अग्निहोत्री अब फिल्मों के जरिए इतिहास पढ़ा रहे हैं।
- अनुपम खेर अपनी फिल्मी भूमिकाओं में व्यस्त हैं।
- शिल्पा शेट्टी योग और फिटनेस पर ध्यान दे रही हैं।
आर्थिक स्थिति पर आम जनता की प्रतिक्रिया
आम जनता के लिए रुपये का गिरना केवल आंकड़ों का खेल नहीं, बल्कि उनके दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है।
- महंगाई बढ़ती है: आयातित वस्तुएं महंगी हो जाती हैं।
- पेट्रोल-डीजल की कीमतें: रुपये की कमजोरी का सीधा असर पेट्रोलियम उत्पादों पर पड़ता है।
- विदेश यात्रा: विदेश यात्रा अब और भी महंगी हो गई है।
क्या अच्छे दिन केवल नारा बनकर रह गए?
2014 में, “अच्छे दिन आएंगे” का नारा हर जगह गूंज रहा था। लेकिन 2025 में, रुपये की स्थिति यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अच्छे दिन सिर्फ एक नारा बनकर रह गए हैं?
निष्कर्ष:
1 डॉलर = 86.55 रुपये का आंकड़ा केवल आर्थिक कमजोरी का प्रतीक नहीं, बल्कि एक बड़ी चुप्पी का भी सबूत है। सवाल उठता है कि जो आवाजें 2014 से पहले इतनी मुखर थीं, वे अब शांत क्यों हैं?
आपकी क्या राय है? क्या रुपये की यह स्थिति अच्छे दिनों का संकेत है? अपनी राय हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं।