Manipur हिंसा: क्यों नहीं रुक रही है हिंसा और क्या हैं इसके कारण?
Manipur में पिछले साल मई से शुरू हुई हिंसा अब तक नहीं रुक पाई है, जबकि कुछ समय के लिए हालात थोड़े शांति में थे। लेकिन सितंबर के बाद से वहां फिर से लगातार हिंसा हो रही है। कुछ लोग इस हिंसा के लिए Manipur के मैते और कुकी समुदायों को जिम्मेदार मानते हैं, वहीं कुछ इसे म्यानमार और बांग्लादेश में सक्रिय आतंकवादी समूहों की करतूत मानते हैं। एक और विचार ये है कि क्या इस हिंसा के पीछे अमेरिका का हाथ है? लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि आखिर भारत सरकार डेढ़ साल से मणिपुर में हालात सामान्य क्यों नहीं कर पाई?
जब केंद्र सरकार कश्मीर जैसे जटिल मामलों में रातों-रात धारा 370 हटा सकती है और वहां चुनाव करवा सकती है, तो मणिपुर की स्थिति को काबू क्यों नहीं किया जा सकता? इस लेख में हम इस सवाल का गहराई से विश्लेषण करेंगे कि आखिर मणिपुर की समस्या इतनी जटिल क्यों है कि हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है और सरकार उसे नियंत्रित क्यों नहीं कर पा रही है।
मणिपुर हिंसा का इतिहास | History of Manipur violence
मणिपुर में हिंसा पिछले साल मई से शुरू हुई थी, जब मैते और कुकी समुदायों के बीच तनाव बढ़ा। जुलाई और अगस्त में कुछ समय के लिए स्थिति शांत रही, लेकिन नवंबर में जिरी बाम जिले में उग्रवादियों ने कुकी समुदाय की एक महिला को गोली मार दी और उसके घर में आग लगा दी। इसके बाद, 11 नवंबर को एक और हिंसक घटना घटी, जिसमें कुकी उग्रवादियों ने CRPF से मुठभेड़ की और छह लोगों का अपहरण कर लिया। इन घटनाओं के बाद, कुकी और मैते समुदाय दोनों ही गुस्से में आ गए और राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वह सुरक्षा नहीं दे पा रही है।
मैते और कुकी समुदायों के बीच संघर्ष
मणिपुर में मुख्यतः तीन प्रमुख जातियाँ हैं – मैते, कुकी और नागा। मैते समुदाय हिन्दू धर्म को मानता है और उनकी आबादी 55-60 प्रतिशत है, जबकि कुकी और नागा समुदाय मुख्य रूप से क्रिश्चियन हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे हुए हैं। मैते समुदाय ने हमेशा अपने अधिकारों की मांग की है, जिसमें भूमि खरीदने के अधिकार की बात प्रमुख है, जो उन्हें शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मिलने पर मिल सकती थी।
कुकी समुदाय इस बदलाव के खिलाफ था, क्योंकि उन्हें डर था कि यदि मैते को शेड्यूल ट्राइब का दर्जा मिल गया तो वे पहाड़ों में जमीन खरीदने लगेंगे, जिससे उनकी स्थिति और कमजोर हो जाएगी। इस मुद्दे पर संघर्ष ने हिंसा का रूप ले लिया, जो लगातार बढ़ती ही जा रही है।
मणिपुर में हिंसा क्यों बढ़ी? | Why did violence increase in Manipur?
मणिपुर की समस्या इतनी जटिल है क्योंकि यहाँ की राजनीतिक और सामाजिक संरचना अत्यधिक तनावपूर्ण है। पहले, मैते समुदाय पहाड़ी इलाकों में कुकी समुदाय को बसा कर अपनी रक्षा करते थे। लेकिन अब कुकी समुदाय खुद को म्यानमार और मणिपुर के अन्य हिस्सों में एकीकृत करने की कोशिश कर रहा है। इस मुद्दे को लेकर कई उग्रवादी संगठन सक्रिय हैं, जो भारत सरकार के खिलाफ हिंसा करते हैं।
इसके अलावा, मणिपुर में विशेष सुरक्षा बल (AFSPA) की मौजूदगी है, जो सुरक्षा बलों को संदिग्ध लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है। हालांकि, पिछले अप्रैल में इस एक्ट को हटा दिया गया, जिससे उग्रवादी संगठनों को और बढ़ावा मिला।
सरकार के लिए चुनौती
मणिपुर में जारी हिंसा को शांत करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। वहां की जटिल सामाजिक संरचना, अलग-अलग समुदायों के बीच बढ़ता mistrust और बाहरी ताकतों का हस्तक्षेप स्थिति को और भी मुश्किल बना रहे हैं। इसके अलावा, महिलाओं का प्रयोग ढाल के रूप में किया जा रहा है, जिससे कानून-व्यवस्था बनाए रखना और भी कठिन हो जाता है।
निष्कर्ष
मणिपुर की स्थिति बहुत जटिल हो चुकी है और हिंसा के कारण अब तक 250 से अधिक लोग अपनी जान गवा चुके हैं। राज्य में 50,000 से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं, जबकि 250 चर्च जलाए गए हैं। सरकार और पुलिस दोनों ही इस स्थिति को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रही हैं।
सरकार को इस समस्या का हल ढूंढने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें सभी समुदायों के विश्वास को फिर से जीता जा सके और राज्य में शांति बहाल की जा सके।
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