राज ठाकरे और MNS: महाराष्ट्र में दो कानून?
महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार राज ठाकरे पर कोई action नहीं लेने वाली, और न ही उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं पर ठोस क़ानूनी कार्यवाही की उम्मीद है।
2008 की घटना फिर दोहराई जा रही है
2008 में मुंबई के Shivaji Park में Third Front की रैली चल रही थी। उसी दिन राज ठाकरे की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर जमकर हंगामा किया। पुलिस सिर्फ तमाशा देखती रही।
जब मामला ज़्यादा बढ़ गया तो SRPF Force को बुलाया गया, जिसने Singham स्टाइल में थोड़ी देर लाठी चलाई, लेकिन सबकुछ बस दिखावे जैसा था।
मुख्यमंत्री की चुप्पी: तब और अब
तब के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख चुपचाप तमाशा देख रहे थे, जैसे धृतराष्ट्र। घटना के एक हफ्ते बाद जाकर कांग्रेस नेताओं ने बयान दिया।
आज 2025 में वही सिचुएशन दोबारा बनती दिख रही है। फर्क सिर्फ इतना है कि अब Congress नहीं, BJP सत्ता में है — और राज ठाकरे अब उनके लिए उपयोगी हो गए हैं।
Summon या सम्मान?
MNS कार्यकर्ताओं को पुलिस ने Summons भेजा है, लेकिन ऐसा लग रहा है जैसे उन्हें Respect Letter भेजा गया हो। वहीं दूसरी तरफ, एक व्यक्ति ने राज ठाकरे के खिलाफ Social Media Post लिखी तो उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।
क्या यही न्याय है?
एक ही देश में दो कानून? एक तरफ खुलेआम कानून हाथ में लेने वाले कार्यकर्ताओं पर कोई ठोस एक्शन नहीं, और दूसरी तरफ एक ट्वीट पर गिरफ्तारी?
राज ठाकरे और बीजेपी की नजदीकियाँ
यह बात किसी से छुपी नहीं है कि राज ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस के बीच अच्छे संबंध हैं। BJP को मराठी वोट बैंक में राज ठाकरे के ज़रिये फायदा मिल सकता है — जैसा कि कभी Congress ने भी किया था।
2008 में Congress ने राज ठाकरे का राजनीतिक उपयोग किया था, आज BJP वही कर रही है। Maharashtra की police और सरकार दोनों राजनीतिक दबाव में काम कर रहे हैं।
राज ठाकरे के समर्थक सड़कों पर उतरते हैं तो System चुप रहता है, और कोई उनकी आलोचना करता है तो तुरंत गिरफ़्तार कर लिया जाता है।