“अरे चुप हो जाओ गुलामों, तुम गुलामी की ज़िंदगी जी रहे हो, तुम्हें क्या पता ‘राजा की ज़िंदगी’ क्या होती है!”
यह वाक्य महज़ एक उग्र बयान नहीं, बल्कि एक गहरी सोच का प्रतीक है। राजा वही होता है जो मैदान में युद्ध लड़ने उतरता है, जो रणभूमि में डटकर सामना करता है। राजा की परिभाषा सिर्फ़ सत्ता और वैभव तक सीमित नहीं होती, बल्कि उसकी मानसिकता उसे राजा बनाती है।
राजा वो नहीं जो केवल जीत का जश्न मनाए, बल्कि वह है जिसकी हार भी इतिहास रच दे। राजा की हार भी इतनी बड़ी होती है कि उसके चर्चे आम जीत से ज़्यादा होते हैं। करोड़ों रुपये ख़र्च करके भी अगर चुनाव हार जाए, फिर भी मंद-मंद मुस्कुराए, तो वही असली राजा होता है। क्योंकि राजा जानता है कि हार महज़ एक पड़ाव है, मंज़िल नहीं।
राजा की मानसिकता अपनाओ
राजा की मानसिकता से सोचो। अगर तुम्हें हार का डर है, तो जीतने का हक़ भी नहीं। हारना राजा बनने की पहली शर्त है, क्योंकि हार ही सिखाती है कि अगली बार कैसे जीतना है।
सामान्य लोग हार को अंत मानते हैं, जबकि राजा उसे नई शुरुआत। इसीलिए, अगर तुम सच में राजा बनना चाहते हो, तो हारने से मत डरो, बल्कि उससे सीखो। क्योंकि जो गिरकर भी मुस्कुराए, वही असली राजा होता है!