दमिश्क: सीरिया में सत्ता परिवर्तन के बाद से हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। पिछले तीन दिनों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में अब तक 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। मारे गए लोगों में नागरिकों, सरकारी सुरक्षाकर्मियों और विद्रोही लड़ाकों की बड़ी संख्या शामिल है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।
सीरिया में क्यों भड़की हिंसा?
सीरिया पर करीब 50 वर्षों तक शासन करने वाले बशर अल-असद को दिसंबर 2024 में सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। उनके जाने के बाद, देश में नई सरकार बनी, लेकिन असद समर्थकों और नई सरकार के बीच तनाव लगातार बना हुआ था। अब यह टकराव पूर्ण गृहयुद्ध का रूप ले चुका है।
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स (SOHR) के अनुसार, यह संघर्ष पिछले 14 वर्षों में सबसे घातक हिंसाओं में से एक है। नई सरकार और असद समर्थक गुटों के बीच छिड़ी इस जंग ने पूरे देश को दहशत में डाल दिया है।
अलावी समुदाय बना निशाना
इस हिंसा में सबसे ज्यादा प्रभावित अलावी समुदाय हो रहा है। यह वही समुदाय है जिससे बशर अल-असद का परिवार आता है और जिसे असद शासन के दौरान सत्ता और सेना में खास दर्जा मिला था। अब नई सरकार के समर्थकों और सुन्नी विद्रोही गुटों ने इस समुदाय को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
SOHR के मुताबिक:
- लताकिया प्रांत में 162 अलावी नागरिकों को सरेआम फील्ड एक्जीक्यूशन में मार दिया गया।
- बनियास और अन्य तटीय इलाकों में भी अलावी समुदाय के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है।
अलावी समुदाय कौन हैं और इन्हें क्यों निशाना बनाया जा रहा है?
सीरिया की कुल जनसंख्या में अलावी समुदाय सिर्फ 12% है। यह समुदाय शिया इस्लाम से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसके धार्मिक रीति-रिवाज सुन्नी बहुसंख्यकों से अलग हैं। बशर अल-असद और उनकी सरकार इसी समुदाय से थी, जिसके कारण उन्हें सेना और प्रशासन में विशेष स्थान मिला था।
अब सुन्नी चरमपंथी गुटों का मानना है कि असद के शासन में अलावियों को विशेषाधिकार मिले थे, इसलिए बदला लेने के लिए इस समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।
क्या कर रही है नई सरकार?
सरकार का कहना है कि वह सिर्फ असद के बचे हुए लड़ाकों के हमलों का जवाब दे रही है, लेकिन मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि सरकार खुद सांप्रदायिक हिंसा को बढ़ावा दे रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- फ्रांस ने इस हिंसा पर गहरी चिंता जताई है और स्वतंत्र जांच की मांग की है।
- संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सीरिया में हो रही सांप्रदायिक हिंसा को तुरंत रोका जाना चाहिए।
- अमेरिका और रूस ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
क्या आगे और बढ़ेगी हिंसा?
सीरिया की स्थिति तेजी से बिगड़ रही है। यदि हिंसा नहीं रोकी गई तो यह संघर्ष और ज्यादा भयानक रूप ले सकता है। सत्ता संघर्ष और सांप्रदायिक लड़ाई से देश में नया गृहयुद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ रही है।