क्या AI हमारी नौकरियों से ज्यादा पानी की खपत कर रहा है?
नई दिल्ली, 19 सितंबर 2024 – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का विस्तार दुनियाभर में तेजी से हो रहा है, और इसके साथ ही कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। जबकि नौकरियों पर इसके प्रभाव की चर्चा जारी है, एक नया मुद्दा सामने आया है जो लोगों को और चिंतित कर सकता है: AI की वजह से बढ़ती पानी की खपत।
हाल ही में एक रिपोर्ट ने इस दिशा में ध्यान आकर्षित किया है कि AI चैटबॉट्स और डेटा सेंटर्स की संचालन प्रक्रिया में पानी की खपत बढ़ रही है। खासकर, AI के लिए जरूरी ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) का उपयोग, जो हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटरों और डेटा सेंटर्स में किया जाता है, भारी मात्रा में ऊर्जा का उपभोग करता है।
GPU और पानी की खपत का सीधा संबंध
ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट्स, जिन्हें आमतौर पर ग्राफिक कार्ड के रूप में जाना जाता है, का उपयोग पिक्चर, वीडियो, 2D और 3D एनिमेशन को डिस्प्ले करने के लिए किया जाता है। ये गेमिंग से लेकर चैटबॉट्स तक की प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य हैं। उदाहरण के तौर पर, चैटबॉट्स जैसे कि ChatGPT को ट्रेन करने के लिए हजारों GPU यूनिट्स की आवश्यकता होती है। इन यूनिट्स को लगातार ठंडा रखने के लिए बड़े डेटा सेंटर्स में पानी आधारित चिलर्स का उपयोग किया जाता है। चिलर्स के माध्यम से पानी बहता है और तापमान को नियंत्रित करता है, क्योंकि सामान्य एयर कंडीशनिंग इन भारी उपकरणों को ठंडा करने में असमर्थ है।
फोर्ब्स की रिपोर्ट का खुलासा
फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, AI का उपयोग करने वाली टेक कंपनियां अपने डेटा सेंटर्स को ठंडा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग कर रही हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि हर एक किलोवाट (kWh) ऊर्जा की खपत से उत्पन्न गर्मी को ठंडा करने के लिए लगभग 9 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, यदि एक AI चैटबॉट एक घंटे तक सक्रिय रहता है, तो इसे ठंडा रखने के लिए 9 लीटर पानी की जरूरत होगी।
यह जानकारी खासतौर पर चिंताजनक है, क्योंकि जल संकट पहले से ही एक वैश्विक मुद्दा बना हुआ है। कई देश पहले से पानी की कमी से जूझ रहे हैं, और AI की इस तरह से बढ़ती मांग पानी की खपत को और अधिक बढ़ा सकती है।
क्या AI पानी की कमी को और बढ़ाएगा?
इससे पहले यह सवाल उठाया जा रहा था कि क्या AI हमारी नौकरियों पर प्रभाव डालेगा। लेकिन अब यह भी सवाल उठता है कि AI हमारे प्राकृतिक संसाधनों, खासकर पानी, पर क्या असर डाल रहा है। AI का प्रभाव केवल तकनीकी क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव हमारी पर्यावरणीय स्थितियों पर भी पड़ रहा है।
समाधान की आवश्यकता
तकनीकी विशेषज्ञों और कंपनियों के लिए यह जरूरी है कि वे इस बढ़ते खतरे का हल ढूंढें। पानी की खपत को कम करने के लिए नई तकनीकें और प्रक्रियाएं विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि AI का विकास हमारे संसाधनों पर नकारात्मक प्रभाव न डाले।
निष्कर्ष
भविष्य में AI का उपयोग और भी बढ़ेगा, लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह हमारी प्राकृतिक संपत्तियों को हानि न पहुंचाए। जहां AI तकनीक से रोजगार और विकास के नए अवसर मिल रहे हैं, वहीं यह महत्वपूर्ण है कि हम इसकी बढ़ती पानी की खपत के प्रति सचेत रहें और इसका समाधान खोजें।
(लेख: Nitish,)
News source: ललन टॉप
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