2 माई 1999 इस दिन की शुरुआत बाकी के आम दिनों की तरह हुई और एक किसी ने भी नहीं सोचा होगा की इसके ठीक आठ दिन बाद हम पाकिस्तान के साथ एक पूरा युद्ध लड़ रहे होंगे. तो आखिर 2 मई 1999 को हुआ क्या था ये जानने के लिए बने रहिए इस Post के अंत तक क्योंकि आज के इस Blog Post में हम आपको कारगिल युद्ध से जुड़े कुछ ऐसे फैक्ट्स बताएंगे जो आप में से हर एक भारतीय को पता हनी चाहिए तो स्वागत है आप सभी का हमारे Harvkat Live News के एक बहुत ही स्पेशल लेख में तो चलिए सुरू करते हैं.
कारगिल के युद्ध ( kargil war )
वर्ष 1999 तारीख थी 2 मई और जगह थी कारगिल के पास का कर कौन गांव और इस गांव का रहने वाला एक चरवाहा जिनका नाम था तहसील नाम घायल तो वे रोज की तरह जब इस दिन भी अपने जानवरों को चार कर वापस आए तो उन्हें पता चला है की उनका एक याद काफी डर से घर वापस नहीं लोट आए तो फिर अपने उसे कोई हुए आपको खोजने हुए ताशी नामदयाल घर के सामने वाली चारों पहाड़ी के पास जाते हैं लेकिन उनका एक वहां पे नहीं होता है और फिर उसे खोजने हुए वे काफी आगे निकाल जाते हैं और पहाड़ी के नीचे पहने वाले नल के रास्ते से होते हुए बाल्टी सेक्टर की पहाड़ी पर पहुंचने हैं और काफी कोशिशें के बाद टशन नाम के अल्कोहल का याद मिल जाता है लेकिन इसी के साथ उनकी नजर दूर पहाड़ी पर चल रही है असामान्य गतिविधि पर पड़ती है और फिर जब अपनी दूरबीन से उसे पूरे एरिया को स्कैन करते हैं तो वो करीब छह लोगों को देखते हैं जो की पत्थर तोड़ते हुए और बर्फ हटाते हुए दिखाई देते थे और उनमें से कुछ लोगों के पास हथियार भी होते हैं और ये देखकर समझना में डर नहीं लगती की देश में दुश्मनों की घुसपैठ हो चुकी है तुरंत ही बिना कोई समय गवई इस घुसपैठ के बड़े में उनके गांव के पास पंजाब regiment जवानों को सुचित करते हैं.
ये पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कारगिल में पाकिस्तान के इस घुसपैठ के बड़े में सूचना दी थी और यह कहना भी गलत नहीं होगा की अगर वह यह सूचना समय पर नहीं देते तो कारगिल युद्ध की स्थिति कुछ और भी हो शक्ति थी और फिर सूचना मिलते तुरंत ही लाइव फ्रेंड्स सौरभ कालिया के आगे में एक पेट्रोलिंग टीम को रावण किया और लेफ्ट हैंड सौरभ का लिया इंडियन आर्मी के पहले ऑफिसर थे जिन्होंने लॉक पर भारत की तरफ पाकिस्तान आर्मी की एक बड़ी घुसपैठ को ऑब्जर्व और रिपोर्ट किया था और लेफ्ट फ्रेंड्स और अब कईयों के साथ सिपाही अर्जुन राम सिपाही भंवर लाल सिपाही भीकाराम सिपाही मूलाराम और सिपाही नरेश सिंह तो ये भी इस पेट्रोलिंग टीम का हिस्सा थे लेकिन पाकिस्तान घुसपैठ जो की पुरी प्लानिंग के साथ भारत में आए थे तो उनके साथ लेफ्ट हैंड सौरव पलिया की टीम की फायर फाइट शुरू हुई और चूंकि वो एक छोटी पेट्रोलिंग टीम थी तो उनके पास अमिनेशन भी उतना ज्यादा नहीं था की वो हवेली आम पाकिस्तान सैनिकों के साथ पुरी तरह से लाड सके और एलिमिनेशन की कमी के चलते लेफ्ट हैंड सौरव पलियो की पेट्रोलिंग टीम को बैकअप आने से पहले ही पाकिस्तान सैनिकों ने कैप्चर कर लिया और एक कुछ दोनों के बाद उनका शरीर स्थिति में भारत को सोप गया था.
जी तरह से टॉर्चर किया गया था उसे यह कंफर्म हो गया की एक घुसपैठ ये कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान द्वारा भेजें गए उनके ही हाली ट्रेन कमांडोज और सोल्जर हैं इन्हें पाकिस्तान जनरल परवेज मुशर्रफ ने जिहादी जमा पहनकर घुसपैठ करवाई थी और जनरल प्रवेश मुझे आपका गोल बिल्कुल क्लियर था की कश्मीर और लद्दाख के बीच की लाइन को कट कर रहा और बस फिर क्या था इंडियन आम फोर्सेस ने इन पाकिस्तान घुसतियों को खदेड़ना के लिए युद्ध का ऐलान कर दिया जब भी हम कारगिल युद्ध की बात करते हैं तो इंडियन आर्मी के ऑपरेशन विजय और इंडियन एयरफोर्स के ऑपरेशन सफेद सागर के बड़े में तो आप में से हर कोई जानता ही होगा.
Indian Navy
लेकिन इस कारगिल युद्ध में इंडियन नेवी नेवी काफी चुपचाप तरीके से अपना योगदान दिया था ऑपरेशन तलवार चलाकर और इसी ऑपरेशन के तहत इंडियन नेवी की वेस्टर्न और पूर्वी फ्रीथ ने अपनी एनुअल एक्सरसाइज जो की मई, जून और जुलाई में बहो बंगाल में होती थी तो उसे इस बार अरब सी पर कंडक्ट किया और इस दौरान इंडियन नेवी की पूर्वी और वेस्टर्न फिट ने अपने सभी असेट्स को तैनात कर दिया लेकिन इस बार नेवीगेशन रॉकेट शेल्फ दूसरे लोडेड थी और नेवी के इलेक्ट्रॉनिक वाॅरफेयर एयरक्राफ्ट ने आर्मी के लैंड ऑपरेशंस को सपोर्ट करने के लिए लॉक पर बड़े पैमाने पर ऑपरेट किया और नेवी की जो सर्विस सेलर्स थे तूने भी तूने भी आर्मी बैटरीज के साथ अनाथ किया गया, ताकि वह दुश्मन की गण लोकेशंस को माफ करने के लिए आर्टिलरी ऑब्जर्वर की तरह कम कर सकें हो जैन एक तरफ कारगिल में इंडियन आर्मी जमीन के रास्ते दुश्मन को खड़े रही थी वहीं आसमान की रास्ते इंडियन और फोर्स दुश्मनों पर आज बर्स रही थी लेकिन उन्हें सख्त निर्देश दिए गए थे की किसी भी स्थिति में लॉक को पर नहीं करना इंडियन
लेकिन इंडियन नेवी जो की इंटरनेशनल वॉटर प्रॉफिट करती थी तो उसने अपने सभी असेट्स को कराची की गहरा बंदी करने के लिए तैनात करना शुरू कर दिया था और कराची जो की उसे समय पाकिस्तान का सबसे लार्जेस्ट पोर्ट था और इंडियन नेवी किस एग्रेसिव फॉरवर्ड डेवलपमेंट से अब पाकिस्तान की जो हालात थी वो खराब होने लगी थी और पाकिस्तान को एक डर सताने लगा की अगर इंडियन स्ट्राइक कर दी तो पाकिस्तान की ने भी उसे स्थिति में नहीं है की वो उसका जवाब दे सके और इस वजह से पाकिस्तान की नेवी को मजबूरी में डिफेंस सिर्फ अप्रोच अपनाना पड़ा और उन्होंने कराची में जो अपने मेजॉरिटी जो तेल टैंकर से उन्हें दूसरी जगह पर शिफ्ट किया और कराची में जो पाकिस्तान वार्षिप्स रह गई थी तो उन्हें भी ऑर्डर्स दिए गए थे की किसी भी हाल में अपने पोर्ट नहीं छोड़ना है ताकि वे इंडियन वार्षिप्स के डायरेक्ट कॉन्फेंटेशन से बच सकें और ऑपरेशन तलवार के तहत इंडियन नेवी के इस एक्शन ने पाकिस्तान के सरप्राइज रूट्स को कट ऑफ कर दिया था.
बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने खुद ही इस बात को स्वीकार भी किया की इंडियन नेवी ने जो कराची पर नाकाबंदी कारी तो फिर उसके बाद पाकिस्तान के पास केवल 6 दिन तक ही युद्ध लड़ने की फ्यूज सरप्राइज थी और उसे समय नेवी की इस ब्लॉक्ड ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान ने नेवी की के ने भी स्वीकार किया था की इंडियन नेवी के अपार ताकत का सामना करना हमारे बस की बात नहीं है और क्या आप जानते हैं की ऑपरेशन तलवार के दौरान नेवी को और तक हमला करने के ऑर्डर्स रिसीव नहीं हुए थे और फिर 14 जुलाई 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहार वाजपेई जी ने ऑपरेशन तलवार को सफल घोषित किया और इसका ऑपरेशन तलवार के मध्य से इंडियन नेवी ने काफी चुपचाप तरीके से लेकिन इस कारगिल युद्ध में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया था की आप जानते हैं की कारगिल युद्ध उन चुन हाय एटीट्यूड वॉलपेपर में से एक है जिनका सामना बहुत ही कम देश ने किया और अक्सर इस तरह के युद्ध में एडवांटेज उससे ही होता है जो की ऊंचाई पर है और यहां पे वो एडवांटेज था पाकिस्तान सैनिकों के पास लेकिन इतनी विषम परिस्थितियों की बावजूद भी इंडियन आर्मी की जवानों ने उन पाकिस्तान घुसपैठ को वापस खरीद दिया ये आप जानते हैं की इस युद्ध के लिए हाय एटीट्यूड वाॅरफेयर पर स्ट्राइक करने के लिए एयरफोर्स के पायलट और इंजीनियर ने केवल एक सप्ताह के खास ट्रेनिंग के बावजूद भी अपने ऑपरेशंस को बेहतरीन तरीके से परफॉर्म किय था
कारगिल युद्ध में करीब 2.5 लाख शेल्स बॉन्ब और रॉकेट फायर किया गए थे और लगभग हर दिन करीब 5000 हेर्टीरियस मोटर बॉन्ब रॉकेट फायर किया जाते थे और जी दिन टाइगर हिल को रीकैप्चर किया गया तो उसे दिन करीब 9000 शेल्फ फायर किया गए थे और वर्ल्ड वार 2 के पास से पहले ऐसा युद्ध था जिसमें इतनी अधिक संख्या में बोम्बिंग की गई थी और कारगिल युद्ध में सबसे पहले बार इंडियन और फोर्स ने प्रशिक्षण का इस्तेमाल किया था और ये थे उस ओरिजन के पे वे टूल लेजर गाइड बम जिन्हें मिराज 2005 से इस्तेमाल किया गया था और अपने डेडली प्रिसक्रिप्शन स्ट्रीक्स में आवाज ने पाकिस्तान सैनिकों की 9 सप्लाई डिपोज और उनके कमांड बैंकर्स को डिस्ट्रॉय किया था और वर्ल्ड वार 2 के बाद से ये दो कंट्रीज के बीच का पहले ऐसा वार था जिसे मीडिया ने फूली कर किया था और करीब 2 महीना 3 सप्ताह और दो दिन तक चले इस युद्ध में इंडियन मिलिट्री ने पाकिस्तान की मिलिट्री को एक ऐसा सबक सिखाया है जिससे वो कभी भी नहीं भूल सकता है और ये कारगिल युद्ध एक ऐसा युद्ध था जिसने पाकिस्तान को बिल्कुल अच्छी तरह से समझा दिया की पाकिस्तान अकेले कभी भी भारत का एक फूल फ्लैश वार में सामना नहीं कर सकता है.
और इस कारगिल युद्ध ने पुरी दुनिया को भी दिखा दिया की भारत एक शांतिप्रिया देश जरूर है लेकिन जब जरूर पड़ेगी तो फिर भारत अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना भी जानता है और फिर चाहे स्थिति कैसी हो और इस युद्ध के दौरान भारत के अखंडता को बनाए रखना के लिए अपने एडम में साहस और वीरता का परिचय देते हुए हमारे जिन वीर जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया तो उनको हम शत-शत नमन करते हैं और उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए हम सदा इनके कर्ज दार रहेंगे जय हिंद जय भारत
अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा: हम सन्ति चाहते हैं ये दुनिया ने देखा अब दुनिया ये देखेगी हम सन्ति की रक्षा के लिए और अपनी शक्ति का भी प्रदर्शन कर सकते हैं लड़ाई के परिणाम के बड़े में भी मेरे मन में कोई संदेह नहीं है हमारी विजय निश्चित है और हम विजई होकर दिखाएं.
Kargil Vijay Diwas कब है 2024 में
Kargil vijay diwas 2024 में 26 जुलाई को है.