नई दिल्ली, 16 अगस्त 2024 – जब दुनिया कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उबर ही रही थी, एक नए वायरस ने अब वैश्विक चिंता बढ़ा दी है। इस वायरस का नाम एम-पॉक्स है, जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। इस वायरस को ग्रेड-थ्री इमरजेंसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका मतलब है कि इस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
जनवरी 2023 से अब तक 27,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और लगभग 1,100 मौतें दर्ज की गई हैं। यह वायरस अब कांगो के कुछ हिस्सों के अलावा पूर्वी कांगो से रवांडा, युगांडा और केन्या तक फैल चुका है। पहले अफ्रीका तक सीमित रहने वाले एम-पॉक्स के मामले अब अफ्रीका से बाहर भी मिलने लगे हैं। पाकिस्तान में भी इस वायरस का पहला मामला दर्ज किया गया है।
पाकिस्तान में पहला मामला
34 वर्षीय पुरुष में एम-पॉक्स के लक्षण पाए गए हैं और इसकी पुष्टि पेशावर स्थित खैबर मेडिकल यूनिवर्सिटी ने की है। यह मरीज 3 अगस्त को सऊदी अरब से पाकिस्तान लौटा था, और पेशावर पहुंचने के कुछ समय बाद ही उसमें लक्षण विकसित हो गए थे।
भारत में एम-पॉक्स की एंट्री
अब भारत में भी इस वायरस के तीन मामले सामने आ चुके हैं, जिससे लोगों में चिंता बढ़ गई है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि एम-पॉक्स क्या है, यह कैसे फैलता है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
(Monkey virus)एम-पॉक्स क्या है?
एम-पॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति है। पहले इसे मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था। इसकी पहचान पहली बार 1958 में हुई थी, जब बंदरों में पॉक्स जैसी बीमारी का प्रकोप हुआ था।
एम-पॉक्स का फैलाव
यह वायरस संक्रमित व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने से फैलता है। एम-पॉक्स एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रामक त्वचा, मुंह, या जननांगों जैसे अन्य घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फैल सकता है। संक्रमित जानवरों के साथ संपर्क में रहने वाले लोगों में इस बीमारी का अधिक खतरा होता है। यह संक्रमण दूषित वस्तुओं जैसे कपड़ों, लिनन, टैटू पार्लर या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर उपयोग होने वाले सामानों से भी फैल सकता है। संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में यह वायरस काटने, खरोचने, या अन्य गतिविधियों के माध्यम से भी फैल सकता है।
एम-पॉक्स के लक्षण
एम-पॉक्स से संक्रमित लोगों में शरीर पर दाने हो सकते हैं, जो हाथ, पैर, छाती, चेहरे या जननांगों के आसपास विकसित होते हैं। ये दाने मवाद से भरे सफेद या पीले दानों के रूप में होते हैं और ठीक होने से पहले पपड़ी बनाते हैं। इसके अन्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। लिंफ नोड्स सूझ सकते हैं, और दुर्लभ मामलों में यह वायरस जानलेवा भी हो सकता है।
एम-पॉक्स का इलाज
एम-पॉक्स का अभी तक कोई विशेष इलाज नहीं है। हालांकि, WHO ने इसके लक्षणों को कम करने के लिए दर्द और बुखार की दवा देने की सलाह दी है। CDC के अनुसार, अगर किसी मरीज की इम्युनिटी अच्छी है और उसे स्किन की बीमारी नहीं है, तो वह बिना किसी खास ट्रीटमेंट के भी ठीक हो सकता है।
फिलहाल, एम-पॉक्स वायरस के भारत में फैलने के खतरे को देखते हुए सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। अपना ध्यान रखें और सुरक्षित रहें।
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