Purniya: पूर्णिया के एक डिजिटल एग्जाम सेंटर में पुलिस ने 35 फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी पुलिस की एक बड़ी कार्रवाई का नतीजा है, जहां असली छात्रों की जगह नकली छात्र परीक्षा दे रहे थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि सेंटर में बायोमेट्रिक डिटेल्स मेल नहीं खा रहे हैं और परीक्षा में धांधली हो रही है।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा? (How did the fraud happen? )
जांच में पाया गया कि असली छात्र सेंटर की एक बिल्डिंग में बैठे थे, जबकि नकली छात्र दूसरी तरफ परीक्षा दे रहे थे। दोनों कमरों को एक तार के जरिए जोड़ा गया था, जिससे बायोमेट्रिक डिवाइस का इस्तेमाल नकली छात्रों के लिए भी किया जा रहा था। यह तरीका आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग कर परीक्षा में धांधली को अंजाम देने के लिए अपनाया गया।
पुलिस की कार्रवाई और बरामदगी
पूर्णिया पुलिस ने सेंटर में छापा मारकर 35 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 7 कर्मचारी भी शामिल हैं। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में नकदी, लैपटॉप, मोबाइल, और अत्याधुनिक उपकरण बरामद किए। छानबीन के दौरान पता चला कि फर्जी छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने में सेंटर के कर्मचारियों की मिलीभगत थी।
राज्यस्तरीय साजिश की संभावना
पुलिस का कहना है कि इस गोरखधंधे में राज्यस्तरीय साजिश की आशंका है। जांच में पटना, वैशाली, रोहतास और कटिहार जैसे जिलों से जुड़े तार सामने आ सकते हैं। पुलिस ने संभावना जताई है कि इस मामले में कुछ बड़े अधिकारियों की भी भूमिका हो सकती है।
फर्जी छात्रों का नया तरीका
परीक्षा के दौरान बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, लेकिन इस गिरोह ने एक नया तरीका अपनाया। असली छात्रों का बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन कराया गया और उनकी जगह नकली छात्रों को परीक्षा देने के लिए भेजा गया। इस तकनीकी धांधली के चलते यह गिरोह लंबे समय तक सक्रिय रहा।
भविष्य की चिंताएं
यह घटना परीक्षा में होने वाली धांधलियों को रोकने के प्रयासों पर सवाल खड़ा करती है। आधुनिक तकनीक के बावजूद ऐसे मामलों का सामने आना चिंताजनक है। पुलिस ने कहा है कि जांच जारी है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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