मणिपुर में एक बार फिर भड़की हिंसा, मैते किसानों पर कुकी उग्रवादियों का हमला
मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की आग भड़क उठी है। राज्य का तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को मणिपुर के इंफाल ईस्ट के मैते बहुल गांव में कुकी उग्रवादियों ने हमला किया। पुलिस ने जानकारी दी कि हथियारबंद उग्रवादियों ने धान की कटाई कर रहे मैते किसानों पर हमला किया। पहले फायरिंग की और फिर उन पर बम फेंके गए।
हमले की सूचना मिलते ही पुलिस और बीएसएफ की टीम मौके पर पहुंची, जिसके बाद उग्रवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। 40 मिनट तक चली इस फायरिंग में बीएसएफ की चौथी महा रेजीमेंट का एक जवान घायल हो गया, जिसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
8 से 10 नवंबर के बीच तीन दिनों में मणिपुर में सात हमले हुए हैं, जिसमें बीएसएफ के जवान के अलावा दो महिलाओं की जान गई और एक डॉक्टर की भी मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक मैते किसान ने बताया कि धान के खेत में काम करते वक्त उसके बगल में बम आकर गिरा, जिससे वह जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर छिप गया।
मणिपुर में हिंसा की मुख्य वजह क्या है?
मणिपुर में मैते समाज की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैते को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल किया जाए।
मणिपुर में पिछले 500 दिनों से जारी इस हिंसा में 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, 1500 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं, और 60,000 लोग अपने घर छोड़कर रिलीफ कैंपों में रह रहे हैं। इस दौरान करीब 11,000 एफआईआर दर्ज हुई हैं, और 500 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। महिलाओं पर गैंग रेप, जिंदा जलाने, और गला काटने जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं।
फिलहाल मणिपुर दो हिस्सों में बंटा हुआ है—पहाड़ी जिलों में कुकी और मैदानी इलाकों में मैते हैं। दोनों के बीच सीमा खींची गई है, जिसे पार करना जानलेवा हो सकता है।
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